भोपाल से अबोहर तक-आधारशिला के प्रति बच्चों का दीवानापन बना मिसाल!

भोपाल से अबोहर तक-आधारशिला के प्रति बच्चों का दीवानापन बना मिसाल!” ■ “जहाँ से शुरू हुई सीख और प्यार की कहानी — वहीँ लौटे बच्चे अपनी खुशियाँ बाँटने!” ■ “तीन साल बाद भी दिल में जिंदा रही आधारशिला की खुशबू — भोपाल से लौटे बच्चे मनाने अपना बर्थडे!” क्या आपने कभी सुना है कि कोई बच्चा अपने पुराने स्कूल में तीन साल बाद सिर्फ बर्थडे मनाने लौट आए??? जी हाँ, यह हुआ है आधारशिला स्कूल में! भोपाल में शिफ्ट हुए बच्चे अपनी दिली इच्छा से सैकड़ों किलोमीटर दूर अबोहर आए — सिर्फ इसलिए कि वे अपना जन्मदिन उसी जगह मनाना चाहते थे जहाँ से उन्होंने जीवन की सबसे सुंदर शुरुआत पाई थी-आधारशिला स्कूल। बच्चों ने कहा-“हम आधारशिला को एक भी दिन नहीं भूले…यहाँ मिला प्यार, यहाँ मिला केयर — वही हमें खींच लाया!” पेरेंट्स की आँखों में भी वही अपनापन छलक उठा- बच्चों की मम्मी मिस गरिमा ने कहा “हमने बहुत स्कूल देखे, बहुत जगह घूमे, लेकिन ऐसी ममता, ऐसा प्यार, ऐसा कनेक्शन कहीं नहीं मिला। जो सौगात आधारशिला अबोहर को दे रहा है, वह बहुत बड़ी बात है। यहाँ पढ़ने वाले बच्चे भी लकी हैं और यहाँ पढ़ाने वाले टीचर भी।” बच्चों का बर्थडे समारोह रूपाली मैम, दिया मैम और प्रीतया मैम की देखरेख में हुआ, जहाँ तीसरी कक्षा के बच्चों ने अपने डांस और टैलेंट से सबका दिल जीत लिया। यह सिर्फ एक बर्थडे नहीं था-यह आधारशिला के प्रति प्रेम, विश्वास और गहराई से जुड़ी भावनाओं का उत्सव था। आधारशिला सिर्फ एक स्कूल नहीं, एक एहसास है-जहाँ बच्चे पढ़ते ही नहीं, बल्कि संस्कारों, आत्मविश्वास और अपनापन के साथ बड़े होते हैं। जो एक बार आधारशिला से जुड़ गया-वो हमेशा दिल से आधारशिला को याद करता है...